Tuesday, October 23, 2012


कभी चेहरों की किताब पर साझा किए हुए

फेसबुक पर दोस्तों से कभी विचार बाँटे, कभी कुछ मज़ाक हुए, कभी कोई अनोखी घटना, कुछ प्यारी यादें, तो कभी कोई दिलचस्प कड़ी. कभी यूँ भी हुआ कि साझा करने लगे, और कुछ नया बन पड़ा… छोटी सी कविता, तुकबंदी या बेसिरपैर की पॅरोडी.

तो इस बार विविध-संकलन में जुड़े मेरे फेसबुक पर 'अभिव्यक्त' विचार...
पढ़ने के लिये यहाँ जाएँ...    

Tuesday, October 16, 2012

ज्ञान-वर्धन: कॉपीराइट/वाटरमार्क का महत्व

इस बार विविध-संकलन में ज्ञान-वर्धन श्रेणी में कॉपीराइट संबंधी कुछ महत्पूर्ण बातें जानें

हिंदी ब्लॉग जगत में कई साथी ब्लॉगर अपने ब्लॉग पर अपनी लिखित कृति के संग चित्र भी लगाते हैं। मैंने देखा कि कुछ अनभिज्ञ लेखक कॉपीराइट का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्हें कॉपीराइट उल्लंघन के नुकसान से बचाने हेतु मैंने दो कड़ियों के इस लेख में कॉपीराइट, वॉटरमार्क और नि:शुल्क चित्र संग्रह की कुछ जानकारियाँ दीं हैं।

कॉपीराइट और वॉटरमार्क के महत्व को समझें - १
कॉपीराइट उल्लघंन के कारण गूगल आपका ब्लॉग अस्थायी या स्थायी रूप से बंद कर सकता है. आपको चेतावनी मिले - ये ज़रूरी नहीं. यदि शिकायत करने वाले के पास उचित कारण हुए, तो बिना किसी सुधार के मौके के आप अपने ब्लॉग - रचनाओं, टिप्पणियों और उनसे जुड़ी कई अनमोल यादों से हाथ धो बैठेंगे. बॅकअप लेकर निश्चिंत ना हों - पाठकों से जुड़े नहीं रहेंगे...

कॉपीराइट और वॉटरमार्क के महत्व को समझें - २
चित्र पर वाटरमार्क लगाना, यानि रचयिता द्वारा चित्र पर उसके अपने होने का प्रमाण अंकित करना है. वाटरमार्क युक्त चित्र के सर्वाधिकार सुरक्षित होते हैं, चाहे वो गूगल खोज के परिणामों में आया हो.

Wednesday, October 10, 2012

मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ. (कविता)

कविता लेखन मेरे लिए हमेशा से स्वांत सुखाय ही रहा है. अनेक विषयों पर लिखा, कुछ ब्लॉग पर पोस्ट किए कुछ नहीं, पर कभी नारी सशक्तिकरण पर कोई लेख, कविता आदि नहीं लिखा.

कुछ समय पहले ये रचना जी का ये पोस्ट देखकर इस विषय पर लिखने की प्रेरणा मिली. कविता लिखते हुए लगा कि ये विषय मेरे मन में गहरा पैठा है, कोशिश करूँगी, आगे भी इस विषय पर लिखूं.

ये कविता का एक अंश:

पुत्री, बहन, पत्नी बनी,
मैं मातृत्व की भी धनी,
पर है परिचय अतिरिक्त भी,
मैं महत्वाकांक्षा से उद्दीप्त भी,                     
लालसा नहीं मेरी ललक है,
मेरे प्रयत्नों की अलख है,
सम्पूर्णता की कांक्षित हूँ,
मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ.

पूरी पड़ने हेतु नीचे दी कढ़ी पर जाएँ:
सक्षम, शिक्षित नारी के आत्मविश्वास को शब्दों में पिरोती कविता...
अब अबला नहीं, न मैं दयापात्र, मैं नहीं पुरुष की छाया मात्र,
अब नहीं किसी पर आश्रित हूँ, मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ.



उम्मीद है पाठकों तक अपनी बात पहुँचाने में भी सक्षम रहूँगी. :)