पंचायती पड़ोसी हों या चुगलखोर रिश्तेदार, निम्न पंचायती जुमलों से आपका भी पाला पड़ा होगा. यदि पढ़ा होगा तो ये पढ़कर हंसी आनी तय है. सुनकर मन में बड़े अच्छे से जवाब आते हैं, जो हम दे नहीं पाते, बस खामोशी से मन ही मन मुस्कुरा देते हैं. अब हमारे मन में जो आता है, हमने तो लिख दिया...
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चेहरों की किताब पर लगा # का ठप्पा
पिछले दिनों फेसबुक ने हैश टैग को अपनी सेवाओं में सम्मिलित करने की घोषणा की. ट्विटर (और गूगल+) का उपयोग करने वाले हैश टैग्स की महिमा से भली भांति परिचित है. तो फेसबुक पर कुछ अलग हट के होगा? या ये कदम नकल में अकल के अभाव का पर्याय सिद्ध होगा? पूरा पढ़ने हेतु यहाँ जाएं
Thursday, May 23, 2013
यूँ तो ये कविता पुरानी है, पर मेरी इतनी प्यारी यादों को संजोए है, कि पढ़कर आज भी मन मयूर नाच उठता है... मेरी नृत्य कक्षा को समर्पित..
शुभकामनाओं के संग एक विचार भी... अच्छा हो जो ये विचार, विचार श्रंखला को आकार दे सके.
अच्छी से अच्छी शिक्षा, जिससे प्राय: लड़कियां भेदभाव के कारण वंचित रह जाती हैं, शायद महिलाओं से जुड़ी सारी समस्याओं का हल न हो, लेकिन समस्याओं से जूझने का बल ज़रूर दे सकता है.
कुछ समय पहले, नारी सशक्तिकरण पर एक कविता लिखी थी. उम्मीद है आपको पसंद आएगी:
दो चुटकुले साथ साथ जा रहे थे. पहला चुटकुला बहुत खुश था. हंसते हंसते उसका बुरा हाल था. दूसरा गुमसुम था, लग ही नहीं रहा था, कि चुटकुला समाज का ये भी सदस्य है.