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Thursday, May 23, 2013

यूँ तो ये कविता पुरानी है, पर मेरी इतनी प्यारी यादों को संजोए है, कि पढ़कर आज भी मन मयूर नाच उठता है...  मेरी नृत्य कक्षा को समर्पित..  

पूरा पढ़ने हेतु, कढ़ी पर क्लिक करें...

Wednesday, October 10, 2012

मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ. (कविता)

कविता लेखन मेरे लिए हमेशा से स्वांत सुखाय ही रहा है. अनेक विषयों पर लिखा, कुछ ब्लॉग पर पोस्ट किए कुछ नहीं, पर कभी नारी सशक्तिकरण पर कोई लेख, कविता आदि नहीं लिखा.

कुछ समय पहले ये रचना जी का ये पोस्ट देखकर इस विषय पर लिखने की प्रेरणा मिली. कविता लिखते हुए लगा कि ये विषय मेरे मन में गहरा पैठा है, कोशिश करूँगी, आगे भी इस विषय पर लिखूं.

ये कविता का एक अंश:

पुत्री, बहन, पत्नी बनी,
मैं मातृत्व की भी धनी,
पर है परिचय अतिरिक्त भी,
मैं महत्वाकांक्षा से उद्दीप्त भी,                     
लालसा नहीं मेरी ललक है,
मेरे प्रयत्नों की अलख है,
सम्पूर्णता की कांक्षित हूँ,
मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ.

पूरी पड़ने हेतु नीचे दी कढ़ी पर जाएँ:
सक्षम, शिक्षित नारी के आत्मविश्वास को शब्दों में पिरोती कविता...
अब अबला नहीं, न मैं दयापात्र, मैं नहीं पुरुष की छाया मात्र,
अब नहीं किसी पर आश्रित हूँ, मैं सक्षम हूँ, मैं शिक्षित हूँ.



उम्मीद है पाठकों तक अपनी बात पहुँचाने में भी सक्षम रहूँगी. :)

Wednesday, September 26, 2012

कब अाओगे तुम...




भागते ठहराव से, ठहरे बहाव से
पतझड़ के फूलों से, जेठ के झूलों से
सबसे पूछा मैंने, कब अाओगे तुम...

Tuesday, January 31, 2012

खुशियों का मोल

अनमोल खुशियों का तोलमोल छोडें, इन्हें खरीदना, बेचना, चुराना, छीनना संभव नहीं. बस इनके योग्य बनने का प्रयत्न ही किया जा सकता है... इन्हीं भावों को शब्दों में पिरोती कविता...
नापा न जा सके खुशियों के मोल को
देखा है कभी मुस्कान के तोल को?

Wednesday, January 25, 2012

सच्चे पल, झूठे रिश्ते

सच है कि रिश्ते अनमोल होते हैं. पर जीवन में कई अपवाद भी होते हैं.
दिखावे के रिश्तों के लिए जीवन के अनमोल पल, सच्ची भावनाएं ज़ाया न करें...
इन्हीं भावों को शब्दों में पिरोती कविता... 

Monday, December 12, 2011


मेरी मौसेरी बहन रूचि की पहली सालगिरह आने को है, तो विविध-संकलन का ये संस्करण 
रूचि, परिमल और उनकी शादी की यादों को समर्पित...  
  
प्यारी बहना दुल्हन बनी है, और उसके साज श्रृंगार का क्या कहना...
उसकी आँखों से खुशियाँ झलकें, मुस्कराहट सबसे प्यारा गहना...


(कविता को पढने हेतु कड़ी पर क्लिक करें)

Friday, September 23, 2011

नया नया सा


कभी कभी यूँ भी होता है, कि सब कुछ नया नया सा लगता है, ऐसी ही अनुभूति को शब्दों में पिरोती कविता... 

नया नगर नया काम,
नयी सुबह नयी शाम...

(पूरा पढने के लिए कड़ी पर क्लिक करें)

Wednesday, June 8, 2011

संबल

आकुल ह्रदय को संबल देती आशा
White Pigeons Supporting each other
प्रतिकूल परिस्थिति में भी मन को संबल देती आशा की विजय को कविता में पिरोते शब्द...

संध्या का रंग सुनहरादमके जैसे संदल
अपरिचित पथ पर यूँ हीविचरित है मन चंचल...


इस कविता को पूरा पढ़ने के लिए यहाँ जाएँ: कविता - संबल 

Friday, June 3, 2011

एक लड़की अनोखी सी

बहुमुखी प्रतिभा के विविध रंग.
मेरी एक प्रतिभाशाली मित्र को समर्पित कविता. 
अनोखी सी एक लड़की से, हुई कुछ वक़्त पहले मुलाक़ात,
जिसकी खूबियों के बखान में ढल सकती है रात...

इस कविता को पूरा पढ़ने के लिए यहाँ जाएँ: 

Tuesday, May 31, 2011

दिल को समझाती हूँ मैं...


उम्मीद पर ही दुनिया कायम है...

 एक छोटी सी कविता जो कहती है, कि
अगर शिद्दत से चाहें तो ख्वाहिशें पूरी हो ही जाती हैं...

इस कविता को पढने हेतु यहाँ जाएँ...